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चंदन की खेती से जुडक़र किसान करोड़पति बन सकते हैं, बशर्तें उन्हें धैर्य के साथ चंदन की खेती करनी होगी, अगर किसान आज चंदन के पौधे लगाते हैं, तो 15 साल बाद किसान अपने उत्पादन को बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए कमा सकते हैं, लद्दाख और राजस्थान के जैसलमेर को छोडक़र सभी भू-भाग में चंदन की खेती की जा सकती है।
chandan ki kheti |
चंदन की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले चंदन के बीज या फिर छोटा सा पौधा या लाल चंदन के बीज लेने होंगे, जो कि बाजार में उपलब्ध है, चंदन का पेड़ लाल मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है, इसके अलावा चट्टानी मिट्टी, पथरीली मिट्टी और चूनेदार मिट्टी में भी ये पेड़ उगाया जाता है, हालांकि गीली मिट्टी और ज्यादा मिनरल्स वाली मिट्टी में ये पेड़ तेजी से नहीं उग पाता।
अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है, पौधे बोने से पहले 2 से 3 बार अच्छी और गहरी जुताई करना जरूरी होता है, जुताई होने के बाद 2*2*2 फीट का गहरा गड्ढ़ा खोदकर उसे कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए, अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें, मानसून के पेड़ में ये पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत होती है, चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाके में लगाना सही माना जाता है, इसके लिए 7 से 8.5 एचपी वाली मिट्टी उत्तम होती है, एक एकड़ भूमि में औसतन 400 पेड़ लगाए जाते हैं, इसकी खेती के लिए 500 से 625 मिमी वार्षिक औसत बारिश की आवश्यकता होती है।
चंदन का पौधा अद्र्धजीवी होता है, इस कारण चंदन का पेड़ आधा जीवन अपनी जरुरत खुद पूरी करता है और आधी जरूरत के लिए दूसरे पेड़ की जड़ों पर निर्भर रहता है, इसलिए चंदन का पेड़ अकेले नहीं पनपता है, अगर चंदन का पेड़ अकेला लगाया जाएगा तो यह सूख जाएगा, जब भी चंदन का पेड़ लगाएं तो उसके साथ दूसरे पेड़ भी लगाएं, इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि चंदन के कुछ खास पौधे जैसे नीम, मीठी नीम, सहजन, लाल चंदा लगाने चाहिए, जिससे उसका विकास हो सके।
चंदन की खेती में जैविक खाद की अधिक आवश्यकता नहीं होती है, शुरू में फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है, लाल मिट्टी के 2 भाग, खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, खाद भी पौधों को बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है।
बारिश के समय में चंदन के पेड़ों का तेजी से विकास होता है, लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी सिंचाई अधिक करनी होती है, सिंचाई मिट्टी में नमी और मौसम पर निर्भर करती है, शुरुआत में बरसात के बाद दिसंबर से मई तक सिंचाई करना चाहिए, रोपण के बाद जब तक बीज का 6 से 7 सप्ताह में अंकुरण शुरू ना हो जाए, तब तक सिंचाई को रोकना नहीं चाहिए, चंदन की खेती में पौधों के विकास के लिए मिट्टी का हमेशा नम और जल भराव होना चाहिए, अंकुरित होने के बाद एक दिन छोडक़र सिंचाई करें।
चंदन की खेती करते समय, चंदन के पौधे को पहले साल में सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है, पहले साल में पौधों के इर्द-गिर्द की खरपतवार को हटाना चाहिए, यदि आवश्यक हो तो दूसरे साल भी साफ-सफाई करनी चाहिए, किसी भी तरह का पर्वतारोही या जंगली छोटा कोमल पौधा हो तो उसे भी हटा देना चाहिए।
चंदन की खेती में सैंडल स्पाइक नाम का रोग चंदन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, इस रोग के लगने से चंदन के पेड़ सभी पत्ते ऐंठाकर छोटे हो जाते हैं, साथ ही पेड़ टेड़े-मेढ़े हो जाते हैं, इस रोग से बचाव के लिए चंदन के पेड़ से 5 से 7 फीट की दूरी पर एक नीम का पौधा लगा सकते हैं, जिससे कई तरह के कीट-पंतगों से चंदन के पेड़ की सुरक्षा हो सकेगी, चंदन के 3 पेड़ के बाद एक नीम का पौधा लगाना भी कीट प्रबंधन का बेहतर प्रयोग है।
चंदन का पेड़ जब 15 साल का हो जाता है, तब इसकी लकड़ी प्राप्त की जाती है, चंदन के पेड़ की जड़े बहुत खुशबूदार होती है, इसलिए इसके पेड़ को काटने की बजाय जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है, पौधे को रोपने के पांच साल बाद से चंदन की रसदार लकड़ी बनना शुरू हो जाता है, चंदन के पेड़ को काटने पर उसके दो भाग निकलते हैं, एक रसदार लकड़ी होती है और दूसरी सूखी लकड़ी होती है, दोनों ही लकडिय़ों का मूल्य अलग-अलग होता है।
देश में चंदन की मांग इतनी है कि इसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है, देश में चंदन की मांग 300 प्रतिशत है, जबकि आपूर्ति मात्र 30 प्रतिशत है, देश के अलावा चंदन की लकड़ी की मांग चाइना, अमेरिका, इंडोनेशिया आदि देशों में भी है, वर्तमान में मैसूर की चंदन लडक़ी के भाव 25 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है, इसके अलावा बाजार में कई कंपनियां चंदन की लकड़ी को 5 हजार से 15 हजार रुपए किलो के भाव से बेच रही है, एक चंदन के पेड़ का वजन 20 से 40 किलो तक हो सकता है, इस अनुमान से पेड़ की कटाई-छंटाई के बाद भी एक पेड़ से 2 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।
अगर कोई किसान चंदन के सौ पेड़ रोपता है और उसमें से अगर 70 पेड़ भी बड़े हो जाते हैं, तो किसान 15 साल बाद पेड़ों को काटकर और बाजार में भेजकर एक करोड़ रुपए आसानी से प्राप्त कर सकता है, यह किसी भी बैंक में एफडी और प्रॉपर्टी में निवेश से भी कई गुना ज्यादा आपको लाभ दे सकता है।
देश में अब कई राष्ट्रीयकृत बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक भी चंदन की खेती के लिए बैंक लोन उपलब्ध करा रही है।
देश में साल 2000 से पहले आम लोगों को चंदन को उगाने और काटने की मनाही थी, 2000 के बाद सरकार ने अब चंदन की खेती को आसान बना दिया है, अगर कोई किसान चंदन की खेती करना चाहता है, तो इसके लिए वह वन विभाग से संपर्क कर सकता है, चंदन की खेती के लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है, केवल पेड़ की कटाई के समय वन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता है, जो आसानी से मिल जाता है।
पूरे विश्व में चंदन की 16 प्रजातियां है, जिसमें सेंलम एल्बम प्रजातियां सबसे सुगंधित और औषधीय मानी जाती है, इसके अलावा लाल चंदन, सफेद चंदन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडालो प्रजाति की चंदन पाई जाती है।
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