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चिया बीज का वैज्ञानिक नाम है, आमतौर पर यह चीन के रूप में जाना जाता है, और यह टकसाल परिवार, लामियासी से एक फूल वाला पौधा है, जो मध्य और दक्षिणी मैक्सिको और ग्वाटेमाला के मूल निवासी है, यह एक छद्मशेष माना जाता है, मुख्य रूप से इसकी खाद्य, हाइड्रोफिलिक चिया बीज के लिए खेती की जाती है, जिसे पश्चिमी-दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी मैक्सिको और दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के कई देशों में भोजन के रूप में उगाया जाता है, अब चिया सीड की खेती भारत में मंदसौर, नीमच और कुछ जिलों में होने लगी है, ये फसल रबी के समय अक्टूबर और नवम्बर माह में लगायी जाती है।
chia seeds images |
अक्टूबर और नवम्बर माह में इसकी बुवाई करना उचित माना जाता है।
इसमें बीज की मात्रा 1 से 1.5 किलोग्राम प्रति एकड़ रखी जाती है।
चिया सीड्स की बुवाई छिटकवाँ विधि से या लाइनों में की जाती है, परन्तु लाइनों में बुवाई करना अधिक उपयुक्त रहता है, बुआई के समय यदि खेत में नमी की मात्रा कम हो तो हल्की सिचाई बुवाई के उपरांत की जा सकती है।
बोने की दूरी 30 सेमी रखकर बुवाई करें, अंकुरण के पश्चात 15 से 20 दिन के पश्चात पौधों की दूरी 15 सेमी कर दे।
बीज को 1.5 सेमी से अधिक गहरा न बोये, अन्यथा बीज के जमाव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
बीज जनित रोग जड़ गलन की रोकथाम हेतु बीज को 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से केप्टान या थीरम फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए।
चिया बीज के लिए मध्यम तापमान की जरुरत होती है, मध्यप्रदेश और राजस्थान का तापमान इस फसल के लिए सबसे अच्छा होता है।
चिया बीज की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के लिए उत्तम जलनिकास वाली हल्की भुरभुरी और रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है।
चिया बीज के भरपूर उत्पादन के लिए भूमि को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है, इसके लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में 2-3 जुताईया कल्टीवेटर से करके खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए, इसके पश्चात पाटा लगाकर मिट्टी को बारीक कर कर खेत को समतल करें, इसके पश्च्यात अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई से पूर्व खेत में उचित नमी होना आवश्यक है, इसलिए खेत को पलेवा देकर बुवाई करना अच्छा रहता है।
खाद एवं उर्वरक की मात्रा खेत की मिट्टी परीक्षण करवाकर ही देनी चाहिए, चिया की अच्छी पैदावार के लिए 10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालना चाहिए, इसके अतिरिक्त सामान्य उर्वरता वाली भूमि के लिए प्रति हेक्टेयर 40:20:15 NPK का तत्व के रूप में प्रयोग किया जाता है, नाइट्रोजन की मात्रा दो बराबर भागो में बुआई से 30 व 60 दिन के अंतर पर खड़ी फसल में सिंचाई के साथ डालना चाहिए, NPK का तत्व के लिए नीम खली और नीम पाउडर का प्रयोग कर सकते है, साथ ही साथ चिया सीड्स की आर्गेनिक खेती के लिए नीम खली और नीम आयल सबसे उत्तम है।
कटवा इल्ली : यह इल्ली पौधे को जमीन के पास से काटकर नुकसान पहुँचाती है, तथा पत्तियों को भी खुजती है, इसकी रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी दवा का 2.5 मिलीलीटर पानी के हिसाब से मिलाकर छिड़काव करें।
चिया सीड्स की फसल लेने तथा खेत को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए दो तीन निराई-गुड़ाई की जरूरत पड़ती है, लगभग हर 30 दिन के अंतर पर निराई-गुड़ाई की जानी चाहिए, पहली निराई-गुड़ाई के समय फालतू पौधों को निकाल देवें।
फसल की जरुरत अनुसार सिंचाई कर देना चाहिए।
चिया सीड्स की फसल लगभग 100 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है, कटाई के लिए तैयार फसल को पूरे पौधे से उखाड़ लिया जाता है और खलिहान में 5 से 6 दिन तक सूखाने के लिए रखते है, सूखाने के पश्चात थ्रेशर मशीन में निकाल लिया जाता है।
एक एकड़ से औसतन 5 से 6 प्रति-क्विंटल की उपज प्राप्त की जा सकती है।
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