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केसर दुनिया में पाया जाने वाला सबसे महंगा पौधा है, इतना महंगा होने के कारण इसे लाल सोना भी कहा जाता है, केसर की खेती करना बहुत ही आसान और सरल है, केसर की फसल में ज्यादा मेहनत की आवश्कयकता नहीं होती है और साथ ही इसकी फसल अवधि भी 3 से 4 महीने का होता है, केसर की कीमत भी दिन पर दिन बढ़ते जा रही है, जिससे किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते है।
kesar ki kheti kaise kare |
केसर की कीमत केसर की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, आज भारत में केसर का मूल्य 1,50,000 से 3,00,000 तक हो गया है, केसर की फसल से लगभग 2.5 से 3 किलो सूखी केसर प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है।
केसर की खेती मुख्यत: समुंद्र तल से 1500 से 2500 मीटर की ऊचाई के साथ ही इसे धुप एवं सूखे दोनों ही क्षेत्रो में ज्यादा पाया जाता है, ठंडा एवं गिला मौसम पौधे के विकास को रोकता है, जिससे काफी फायदा होता है और साथ ही फूल लगने की क्रिया को भी सुस्त कर देता है, जिससे काफी अच्छी पराग बनती है।
केसर के उत्पादन के लिए आपको ध्यान देना होगा की जिस खेत में आप केसर की खेती करने जा रहे है, उसकी मिटटी रेतीली चिकनी बलुई या फिर दोमट मिट्टी होनी चाहिए, लेकिन केसर की खेती अन्य मिट्टी में भी आसानी से हो जाती है, जिस भूमि में पानी का निकास आसानी से हो या किया जा सके, पानी के जमाव के कारण केसर के क्रोम्स सड जाते है और फसल बर्बाद हो जाती है, इसलिए कोशिश करे की भूमि का चयन करते समय ऐसी भूमि का चयन करे, जिसकी मिट्टी में पानी का जमाव नहीं होता हो, अगर भूमि में पानी का जमाव होगा तो फसल काफी हद तक प्रभावित होगी।
केसर का बीज बोने या लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना ले और अंतिम जुताई से पहले 20 टन गोबर का खाद और साथ में 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और पोटास प्रति हेक्टेयर के दर से अपने खेत में डाल कर अच्छी तरह से जुताई कर ले, इससे आपकी जमीन उर्वरक और भुरभरी बनी रहेगी एवं केसर की फसल काफी हद तक अच्छी होगी।
किसी भी फसल को रोपने का एक निश्चित या निर्धारित समय होता है और सही समय पर बीज नहीं रोपने से हमे अपेक्षा के अनुसार उपज नहीं मिल पाती है, इसलिए बीज को हमेशा निर्धारित समय पर ही खेतो में लगाए, केसर की फसल लगने का सही समय जुलाई से अगस्त है, लेकिन मध्य जुलाई के समय को सर्वश्रेष्ठ होती है।
केसर के क्रोम्स लगाते वक्त ध्यान रखे की क्रोम्स को लगाने के लिए 6 से 7 सेंटीमीटर का गड्ढ़ा करे और दो क्रोम्स के बिच की दुरी लगभग 10 सेंटीमीटर रखे, इससे क्रोम्स अच्छे से फलेगी-फूलेगी और पराग भी अच्छे मात्रा में निकलेगा।
केसर की फसल के लिए 10 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है, अगर बीज लगने के कुछ दिन बाद हलकी वर्षा हो तो खेत में सिचाई करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि वर्षा नहीं होती है तो हमे 15 दिन के अंतराल में 2 से 3 बार सिचाई करने की आवश्यकता होती है, सिचाई के दौरान यह ध्यान रहे की खेत में कही भी पानी का जमाव न हो और पानी के जमा होने पर निकासी का जल्द ही प्रबंध करना चाहिए, इससे फसल प्रभावित होने से बचे रहेगी।
खेतो में अक्सर जंगली घास पनपते हुए नज़र आती है, इसलिए हमे समय-समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए और जंगली घासों को निकालते रहना चाहिए, क्योकि ये हमारे फसल के विकास में बाधक होते है, केसर के अच्छे विकास के लिए रोजाना 8 घंटे धुप की आवश्यकता होती है, जब केसर अपने विकास के मार्ग पर हो अर्थात क्रोम्स से पौधे निकल कर बड़ा हो रहा हो उस समय पौधे में हर दूसरे दिन पानी डालने की आवश्यकता होती है, केसर के पौधो में अक्टूबर के पहले सप्ताह पौधों में फूल लगाने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है, इस समय केसर के पौधो पर उचित ध्यान से और यह खास कर यह ध्यान दे की किसी तरह का कोई कीड़ा या पतंग नहीं लग रहा हो, क्योंकि अगर प्राग नहीं निकला तो उसमे से केसर भी नहीं निकलेगी।
केसर के फूल खिलने के दूसरे दिन ही फूल को तोड़ कर रख लिया जाता है, फूल को सूखने में ज्यादा समय नहीं लगता है, यह 3 से 4 घंटे में ही सुख जाते है, फूल के सूखने के बाद फूलो से केसर को निकाल लिया जाता है और इसे किसी कंटेनर में रख दिया जाता है और जब पूरी फसल कट जाती है, उसके बाद इसे धुप में अच्छे से सूखा कर बाजार में बेचा जाता है, एक बार केसर के पैदावार के बाद इसे अच्छे तरह से पैक कर आप इसे किसी भी नजदीकी मंडी में अच्छे दामों में बेच सकते है, क्योंकि कई किसानो की बड़ी समस्या होती है की इसे कहा बेचे तो जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की इसे आप नीमच मंडी में बेच सकते है, साथ ही आयुर्वेद की मंडी हो वहा भी बेच सकते है, इसके साथ ही आप इसे ऑनलाइन भी बेच सकते है।
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